डिजिटल संगीत युग की दिशा : संगीतकार शिवराम परमार ने खोली अंदर की बात

संगीत इंडस्ट्री  के निरंतर विकसित हो रहे परिदृश्य में, डिजिटल युग संगीतकारों के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों लेकर आया है। इस बात की गहराई को समझने के लिए हम संगीतकार शिवराम परमार के साथ बैठे जिन्होंने इस इंडस्ट्री के अलग अलग पहलू हमारे साथ शेयर किये ,जिसमे डिजिटल युग के प्रभाव , रचनात्मक प्रक्रिया […]

Mon, 18 Mar 2024 09:42 PM (IST)
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डिजिटल संगीत युग की दिशा : संगीतकार शिवराम परमार ने खोली अंदर की बात
डिजिटल संगीत युग की दिशा : संगीतकार शिवराम परमार ने खोली अंदर की बात
संगीत इंडस्ट्री  के निरंतर विकसित हो रहे परिदृश्य में, डिजिटल युग संगीतकारों के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों लेकर आया है। इस बात की गहराई को समझने के लिए हम संगीतकार शिवराम परमार के साथ बैठे जिन्होंने इस इंडस्ट्री के अलग अलग पहलू हमारे साथ शेयर किये ,जिसमे डिजिटल युग के प्रभाव , रचनात्मक प्रक्रिया और ऐआई का इन सब में क्या भूमिका है, सब पर बात की गयी।
इन सबमें सबसे बड़ी चुनौती के बारे में बात करते हुए शिवराम ने बताया कैसे डिजिटल उपकरणों के प्रचलन के कारण संगीत में संवेदनशीलता और भावना की कमी होती जा रही है। उन्होंने बताया कि कैसे संगीत जगत में सुविधा पाने के लिए इन आवश्यक तत्वों से समझौता नहीं किया जा सकता। उनके अनुसार, आज संगीत में सबसे बड़ी चुनौती डिजिटल प्रगति को अपनाते हुए संवेदनाओं को बरकरार रखना है।
रचनात्मक प्रक्रिया पर चर्चा करते समय,उन्होंने  बताया हमें  संगीत के बुनियादी सिद्धांतों को सही रूप से सीखना चाहिए और लगन से अभ्यास करते रहना चाहिए। उन्होंने इच्छुक संगीतकारों को सलाह दी कि वे अनुभवी गुरुओं से मार्गदर्शन लें और ऐसा संगीत बनाने पर ध्यान केंद्रित करें जो प्रमाणित हो और श्रोताओं को पसंद आए। शिवराम ने एक गीत को बनाने के पीछे उसका मकसद  और भावनाओं को समझने के महत्व के बारे में भी बात की , खासकर फिल्मों या अन्य दृश्य विज़ुअल मीडिया के लिए कंपोज करते हुए ध्यान रखने की बात की।
शिवराम अपना खुद का एक संगीत स्कूल चलाते हैं और उन्होंने युवा संगीतकारों और कंपोजर  को बहुमूल्य सलाह दी। उन्होंने बताया कि सभी को अपने  कौशल को निखारने और अपनी कला में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करते रहना चाहिए । शिवराम ने संगीत में महारत हासिल करने के लिए निरंतर सीखने और विकास के महत्व पर जोर दिया।
संगीत प्रोडक्शन में एआई के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया जिस गहराई और भावना से मानव संगीत बना सकता है , एआई ऐसा कभी नहीं कर सकता। एआई की सहायता संगीत प्रोडक्शन के तकनीकी पहलुओं जैसे मिश्रण और मास्टरिंग में ली जा सकती है लेकिन संगीत निर्माण में मानवीय तत्व को संरक्षित करने के महत्व पर उन्होंने जोर दिया।
अंत में, शिवराम द्वारा बताई गयी यह सब बातें डिजिटल युग में संगीतकारों के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण सलाह के रूप में काम आ सकती है। उनकी सलाह समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला संगीत बनाने में जुनून, समर्पण और प्रामाणिकता के महत्व को रेखांकित करती है। जैसे-जैसे संगीत इंडस्ट्री बढ़ रही है , शिवराम के शब्द संगीत की लोगों को जोड़कर रखने की शक्ति के बारे में बात करते हैं।